भारत के सपनन के धक्का
12 साल के निरंतरता के बाद, भारत के 18 लगातार घरेलू श्रृंखला जीत के सपना एक ठन जोरदार धक्का पर खत्म भइल। भारत के न्युजीलैंड के खिलाफ दुसरका टेस्ट में 113 रन से हार मिलल, जवन कि पुणे में भइल। भारतीय बल्लेबाज, जेकरा के स्पिन के खिलाफ बेसी अच्छा मानल जाला, सैंटनर के खिलाफ बेवकूफी कर गइल। एह से लोग के नजरिया पर सवाल उठल। रोहित आ कोहली जइसन सीनियर खिलाड़ी के रिटायरमेंट सोशल मीडिया पर गरम मुद्दा बनल बा।
सिमन डोल के बयाना
पूर्व न्युजीलैंड के तेज गेंदबाज आ अब कमेंटेटर सिमन डोल कहले, “ई एगो गलतफहमी बा कि आज के आधुनिक भारतीय बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ सबसे अच्छा खेलत बा। ऊ सब ओही तरह के बाड़े जइसे बाकी दुनिया के बल्लेबाज। गांगुली, गंभीर, लक्ष्मण आ ड्रविड के दिन गइल। सचिन के स्पिन के खिलाफ बेसी माहिर मानल जाला।” का सिमन डोल सही बाड़न?
क्या आज के बल्लेबाजन के कौशल कम भइल?
का आज के भारतीय बल्लेबाज पुरनियन महान खिलाड़ियन से कम कुशल बाड़न स्पिन गेंदबाजी के सामना करे में? का किवी बल्लेबाजन नया तकनीक निकाले बाड़न जवन कि अश्विन आ जडेजा जइसन गुणवत्ता वाले स्पिनरों के खिलाफ खड़ा हो सके? का ई श्रृंखला हार भारत के सबमहान टीम के सबमहानियत के खत्म कर दी? सवाल बहुते बा, आ सब सवालन के कोई ठोस जवाब नइखे।
DRS के असर
जवन लोग आज के भारतीय बल्लेबाजन के आलोचना कर रहल बाड़न आ उनकर तुलना पुरनियन महान खिलाड़ियन से कर रहल बाड़न, ऊ लोग एगो मौन क्रांति के नजरअंदाज कर दिहले बाड़न, जवन कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भइल बा, ऊ हवे ‘डिसिजन रिव्यू सिस्टम’ (DRS)। पहले, पैड आ पांव के मूवमेंट स्पिनरन के सामना करे में बहुत महत्वपूर्ण रहल। लेकिन DRS के आगमन के साथ-साथ बल्लेबाजन के तकनीक में बदलाव करे के जरूरत पड़ गइल, ताकि ऊ लोग LBW से बचे सकें। ई नया तकनीक में पांव के मूवमेंट आ बैट के इस्तेमाल के तरीका बदल गइल, जवन कि बल्लेबाजन के आउट होखे के चांस बढ़ा दिहलस।
पुणे टेस्ट में DRS के दोधारी तलवार
Pune टेस्ट में DRS एगो दोधारी तलवार बन गइल, जहाँ गेंद अजीब व्यवहार कइले। एसे कुछ DRS के नियम पर सवाल उठल, खासकर ‘अंपायर कॉल’ के। जइसे कि शुभमन गिल के आउट ना मानल गइल, लेकिन विराट कोहली के आउट मानल गइल, जबकि दूनो स्थिति में DRS बतवले कि गेंद स्टम्प के छू रहल बा। का ई उचित बा? ICC के अब ई नियम पर पुनर्विचार करे के समय आ गइल बा।
आगे के सोच
भले ही जडेजा फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर आउट भइल, लेकिन अंपायर हल्का एज ना देख पवले। अगर ICC अइसन क्रांतिकारी फैसला लेवे लागल, जहाँ तीसरा अंपायर बिना खिलाड़ी के अपील के फैसला लेवे, त बल्लेबाजन के दिक्कत होई। ई बदलाव क्रिकेट के खेल के तौर-तरीका में बदलाव लइहें। भविष्य में, दूसर टीम भी किवी बल्लेबाजन के स्पिनरन के खिलाफ खड़ा होखे के तरीका सीखी। तकनीकी विकास के चलते खिलाड़ी के अपने तरीका में बदलाव करे के जरूरत पड़ी।
BCCI के कदम
अब, BCCI के का करे के चाहीं ताकि भारतीय बल्लेबाजन के स्पिन के खिलाफ बढ़त वापस मिल सके? सब टेस्ट खिलाड़ी के फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलावल जरूरी ह, लेकिन ई काफी ना होई। बोर्ड के चाहीं कि DRS के सब फर्स्ट क्लास मैच में लागू कइल जाव। एसे खिलाड़ी के तकनीक में सुधार होई आ कप्तान लोग के DRS के इस्तेमाल के तरीका सिखाई। एसे BCCI नया टैलेंट के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के चुनौती से निपटे में मदद कर सकेला।
आखिर के बात
भारतीय खिलाड़ी के खराब प्रदर्शन पर कई आलोचनात्मक विचार आ तथ्य उठल, जवन कि न्युजीलैंड के खिलाफ श्रृंखला हार के कारण बनल। आंकड़ा आधारित तुलना के बारे में भी सोचे के जरूरत बा। ई सब बात के निचोड़ ई बा कि आंकड़ा हर बार पूरा तस्वीर ना देखावेला, जइसे कि DRS के मामला में।
FAQs
1. DRS का हवे आ ई कइसे काम करेला?
DRS, डिसिजन रिव्यू सिस्टम, एक तकनीकी प्रक्रिया ह जवन कि अंपायर के निर्णय के समीक्षा करे में मदद करेला।
2. का DRS से बल्लेबाजन के फायदा होई?
हँ, DRS से बल्लेबाजन के अपने निर्णय के समीक्षा करे के मौका मिलेला, जवन कि गलत फैसले से बचा सकेला।
3. न्युजीलैंड के खिलाफ हार के कारण का रहल?
हार के कई कारण रहल, जइसे कि बल्लेबाजन के खराब प्रदर्शन आ DRS के कुछ विवादित फैसले।
4. भारतीय बल्लेबाजन के स्पिन के खिलाफ कौशल कइसे सुधारल जाई?
BCCI के चाहीं कि DRS के फर्स्ट क्लास मैच में लागू कइल जाव ताकि खिलाड़ी सही तरीका सिख सकें।