मोदी सरकार पर कांग्रेस के अध्यक्ष के आरोप
इलेक्शन कमीशन के स्वतंत्रता पर खतरा
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शनिचर के दिन नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगवले कि ऊ लोग चुनाव आयोग के संस्थागत अखंडता के धीरे-धीरे नष्ट कर रहल बाड़े। ई आरोप हाल ही में “Conduct of Election Rules, 1961” में कइल बदलाव के बाद उठल बा। खड़गे ई बदलाव के एक “सीधा हमला संविधान आ लोकतंत्र पर” बतावलन।
ई संशोधन, जे केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा शुक्रवार के जारी कइल गइल, चुनाव से जुड़ल कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़न के जनता के पहुंच से हटा देवे के निर्देश दे रहल बा। अब सीसीटीवी फुटेज आ वेबकास्टिंग रिकॉर्डिंग जइसन सामग्री सार्वजनिक निरीक्षण खातिर उपलब्ध ना होई। खड़गे के कहना बा कि ई बदलाव से चुनाव से जुड़ल जानकारी के पारदर्शिता पर असर पड़ेगा।
खड़गे के तीखा प्रतिक्रिया
खड़गे ई मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहले, “मोदी सरकार के ई दुस्साहसिक संशोधन चुनाव आयोग के संस्थागत अखंडता के नष्ट करे के साजिश के एक अउरी कड़ी ह। पहिले, ऊ लोग मुख्य न्यायाधीश के चुनाव आयुक्त के चयन पैनल से हटा देले रहल, आ अब ऊ लोग चुनावी जानकारी के रोक रहल बा।”
खड़गे आगे कहले कि जब भी कांग्रेस पार्टी चुनावी अनियमितता के बारे में चुनाव आयोग से शिकायत कइले, त आयोग हमेशा उपेक्षा कइले आ गंभीर शिकायतन के ना मानल। ऊ ई भी जोड़लन कि “मोदी सरकार के ई जानबूझ के चुनाव आयोग के अखंडता के कमजोर करे के काम संविधान आ लोकतंत्र पर सीधा हमला ह आ हम हर कदम उठाएब जेकरा से इनकर रक्षा हो सके।”
कांग्रेस के कानूनी चुनौती
शनिवार के कांग्रेस के संचार के महासचिव जयराम रमेश ई संशोधन के निंदा कइले आ ऐलान कइले कि पार्टी ई पर कानूनी चुनौती देवे के योजना बना रहल बा। लोकसभा सांसद आ कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल भी ई आलोचना कइले, जवन कहले कि चुनाव आयोग के कार्यशैली में “अस्पष्टता आ सरकार के प्रति झुकाव” दिख रहल बा।
संशोधन के पृष्ठभूमि
ई संशोधन एक कोर्ट केस के परिणाम ह, जवन बतावत बा कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ “Conduct of Election Rules” के दायरे में ना आ रहल बाड़े। एक पूर्व चुनाव आयोग अधिकारी के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज आ वेबकास्टिंग जइसन सामग्री इन नियम के तहत ना आवेला, बलुक ई चुनाव आयोग द्वारा निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे खातिर उठावल कदम बाड़े।
पहिले, नियम 93 कहत रहल कि सभी चुनाव से संबंधित कागजात जनता के निरीक्षण खातिर उपलब्ध होखे के चाहीं। लेकिन अब ई संशोधन में “जइसन कि इन नियम में निर्दिष्ट बा” के वाक्य जोड़ के दस्तावेज़न के दायरा सीमित कर देहल गइल बा।
भोजपुरी समाज के सामंजस्य
भोजपुरी समाज में ई मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण बा। चुनाव में पारदर्शिता आ लोकतंत्र के रक्षा खातिर हर नागरिक के आवाज उठावे के जरूरत बा। ई बदलाव से ना सिर्फ चुनाव आयोग के स्वतंत्रता खतरे में पड़ी, बलुक लोकतंत्र के मूल सिद्धांत भी प्रभावित हो सकेला।
FAQs
ई संशोधन के कारण का बा?
ई संशोधन चुनाव आयोग के कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़न के जनता के पहुंच से हटा देवे खातिर कइल गइल बा।
कांग्रेस सरकार के खिलाफ का कदम उठा रहल बा?
कांग्रेस पार्टी ई संशोधन के खिलाफ कानूनी चुनौती देवे के योजना बना रहल बा।
खड़गे के बयान में का बात कहल गइल?
खड़गे कहले कि ई संशोधन संविधान आ लोकतंत्र पर सीधा हमला ह आ चुनाव आयोग के अखंडता के कमजोर करे के साजिश ह।
पहिले के नियम 93 में का कहल गइल रहल?
पहिले के नियम 93 कहत रहल कि सभी चुनाव से संबंधित कागजात जनता के निरीक्षण खातिर उपलब्ध होखे के चाहीं।