अमेरिका में ट्रंप के जन्म अधिकार पर फैसला
एक संघीय न्यायाधीश अमेरिका में एक महत्वपूर्ण फैसला दिहलन, जेकरा से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक आदेश पर रोक लगावल गइल। ई आदेश जन्म अधिकार के सीमित करे खातिर बनावल गइल रहल। ट्रंप के योजना रहल कि बिना वीजा के आवे वाला प्रवासियन के बच्चा लोग के अपने आप अमेरिका के नागरिकता ना मिले।
जन्म अधिकार आ संविधान
ई जन्म अधिकार अमेरिका के संविधान में निर्धारित बा। एह अधिकार के अनुसार, जे बच्चा अमेरिका के जमीन पर जनम लेला, ऊ बच्चा अपने माता-पिता के स्थिति के बिना नागरिकता के हकदार होखेला। ट्रंप जब राष्ट्रपति बनलन, त ऊ तुरंत ई आदेश पर दस्तखत कइलन। लेकिन ई आदेश, जे 19 फरवरी से लागू होखे के चाहत रहल, पर बहुते आलोचना भइल। मानवाधिकार संगठन आ 22 राज्य मिलके एक से अधिक मुकदमा दायर कइले बाड़न।
जज के कड़ी टिप्पणी
सीटेल में एक अदालत में सुनवाई के दौरान, न्याय विभाग के वकील ई आदेश के बचाव कइले, कहलन कि सब बच्चा लोग जे अमेरिका में जनम लेला ऊ एह देश के अधिकार क्षेत्र में ना आवे। लेकिन जज ई तर्क के खारिज कइले आ कड़ा टिप्पणी कइले: “ई बात के संविधानिक रूप से कैसे बचाव कइल जा सकी, ई बात के समझना मुश्किल बा। चालीस साल से अधिक समय में, ई मामला सबसे स्पष्ट मामला ह।” जज के ई फैसला ट्रंप के सरकार के आदेश के फिलहाल लागू ना करे के अनुमति दिहलस।
कानूनी लड़ाई जारी
ई मामला अब एक लंबा कानूनी संघर्ष में बदल गइल बा। 22 राज्य, जिनमें वॉशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनॉय आ ओरेगन शामिल बाड़ें, ई आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर कइले बाड़न। राज्य आ मानवाधिकार संगठन के कहना बा कि ट्रंप के ई प्रयास “अत्यधिक आ निराधार” बा। ट्रंप के सरकार एक नया व्याख्या कइले कि “अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में” के संज्ञा के अनुसार, बिना वीजा के प्रवासी लोग एह में ना आवे।
बच्चा के जन्म आ मानवाधिकार
हर साल अमेरिका में लगभग 150,000 बच्चा जनम लेला, जिनके माता-पिता के नागरिकता ना होखेला। आलोचक लोग के मानना बा कि ई आदेश बुनियादी मानवाधिकार पर हमला ह। हालाँकि ई मामला अब फिलहाल ठप बा, लेकिन उम्मीद कइल जात बा कि ई कानूनी लड़ाई अंततः सुप्रीम कोर्ट में जाई।
FAQs
ट्रंप के आदेश का बा?
ट्रंप के आदेश जन्म अधिकार के सीमित करे के कोशिश कइल गइल, जेकरा से बिना वीजा के प्रवासियन के बच्चा लोग के नागरिकता ना मिले।
ई मामला कइसे शुरू भइल?
ई मामला तब शुरू भइल जब ट्रंप राष्ट्रपति बनलन आ ऊ तुरंत ई आदेश पर दस्तखत कइलन।
केकरा खिलाफ मुकदमा दायर भइल?
22 राज्य आ मानवाधिकार संगठन मिलके ई आदेश के खिलाफ मुकदमा दायर कइले बाड़न।
ई कानूनी लड़ाई के परिणाम का हो सकेला?
ई कानूनी लड़ाई अंततः सुप्रीम कोर्ट में जाई, आ ओहिजा पर अंतिम फैसला होई।