क्रिकेट के नया आभास: डे-नाइट टेस्ट के कहानी
क्रिकेट के दुनिया में बदलाव आ नवाचार के प्रति क्रिकेट प्रशासन के प्रतिरोध के बात करे त ई बात साफ बा कि बाहर के एक व्यक्ति — ऑस्ट्रेलिया के मीडिया टाइकून केरी पैकर — के दखल के बिना डे-नाइट खेल के अस्तित्व में ना आ पावल। पैकर के विवादास्पद वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट एक मील का पत्थर साबित भइल, जेकरा से क्रिकेट के पुरानी धारा में एक नया मोड़ आइल। ई नया प्रयोग चार दशक में क्रिकेट के रूप में बदलाव लावे में सहायक भइल, जहाँ सफेद गेंद, रंगीन कपड़ा, आ भीड़-भाड़ अब लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट के प्रमुख हिस्सा बन गइल बा।
पहिला डे-नाइट टेस्ट के शुरुआत
2015 में, ऑस्ट्रेलिया आ न्यूजीलैंड के बीच खेलल गइल पहिला डे-नाइट टेस्ट एक नया अध्याय के शुरुआत कइलस। ई विचार पहिले से ही उठल रहल, लेकिन सही गेंद खोजे में कठिनाई के चलते देरी भइल। लाल गेंद रात के रोशनी में दिखाई ना देत रहलीं, जबकि सफेद गेंद टेस्ट के कपड़ा से मेल ना खा रहल रहलीं। अंततः, कई रंग के गेंद के परीक्षण के बाद गुलाबी गेंद के चुनाव भइल, जेकरा चलते ई नया अनुभव बनल।
ऑस्ट्रेलिया के डे-नाइट टेस्ट में 12 में से 22 मैच में भागीदारी भइल बा। आ ई लगभग हर घरेलू श्रृंखला में कम से कम एक डे-नाइट टेस्ट शामिल करत बा। अगिला सप्ताह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतर्गत, एडलाइड ओवल में ई मुकाबला होखे जा रहल बा। भारत के पर्थ में पहिला टेस्ट जीतल के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया के पास एक बढ़त बा, काहे कि ओकरा 12 में से 11 डे-नाइट टेस्ट जीतल बा।
भारत के चुनौती
भारत के भी डे-नाइट टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन रहल बा, लेकिन 2020-21 के दौरा में एडलाइड में ओकर अनुभव महत्वपूर्ण बा। ओह समय भारत 36 रन पर आउट भइल रहल, जे ओकरा के सबसे कम स्कोर बनवले। ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज के सामने भारत के बल्लेबाज लय में ना रह पवले। एही से भारत अब एक डे-नाइट वार्म-अप खेल खेल रहल बा, ताकि ओह कमी के सुधार क सके।
गुलाबी गेंद के चुनौती
गुलाबी गेंद के खिलाफ बल्लेबाजी करना एक बड़ चुनौती हो जाला। ऑस्ट्रेलिया में 12 डे-नाइट टेस्ट में बल्लेबाजी के औसत 26.11 रहल, जबकि अन्य टेस्ट में ई औसत 32.45 रहल। ई बात दर्शावत बा कि गुलाबी गेंद के साथ बल्लेबाजी करना कठिन हो रहल बा। एही से, पिच पर घास के सही मात्रा रखल जाला, ताकि गेंद के चमक आ स्थिति बरकरार रहे।
गेंद के तकनीकी अंतर
गुलाबी गेंद के निर्माण में लाल गेंद से कुछ तकनीकी भिन्नता बा। गुलाबी गेंद पर अधिक रंग के कोटिंग होखेला, जेकरा चलते ई 80 ओवर तक अपना रंग के बरकरार रख पावेला। ई प्रक्रिया में लगभग तीन दिन लागेला। पूर्व भारतीय गेंदबाजी कोच भारत अरुण कहले कि गुलाबी गेंद ज्यादा गति आ बाउंस देला, जे बल्लेबाजन के लिए चुनौती बन जाला।
भारत के तैयारी आ रणनीति
भारत के पास पिछले डे-नाइट टेस्ट के अनुभव से सीख लेके तैयार होखे के जरूरत बा। चाहे ओह समय के हालात कइसन भी रहल हो, अब उनकर ध्यान ई मैच पर होई। भारत के बल्लेबाजन के विशेष ध्यान दियावे के पड़ी, खासकर की रात के समय जब रोशनी में बदलाव होखेला।
FAQs
डे-नाइट टेस्ट का होला?
डे-नाइट टेस्ट ऊ क्रिकेट मैच हवे, जे दिन के समय शुरु होके रात में खेलल जाला।
गुलाबी गेंद के खासियत का हवे?
गुलाबी गेंद के निर्माण में अधिक कोटिंग होखेला, जे ओकरा के 80 ओवर तक चमकदार आ प्रभावशाली बनवले रखेला।
भारत के डे-नाइट टेस्ट में अब तक कइसन प्रदर्शन रहल बा?
भारत अब तक चार डे-नाइट टेस्ट खेल चुकल बा, जिनमें से तीन जीतल बा।
गेंदबाजन खातिर गुलाबी गेंद कइसे चुनौती बन जाला?
गुलाबी गेंद में अधिक चमक आ गति होखला से ई बल्लेबाजन खातिर चुनौती बन जाला।
भारत के अगिला डे-नाइट टेस्ट कब होई?
भारत के अगिला डे-नाइट टेस्ट एडलाइड ओवल में होई, जे बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के हिस्सा बा।