सिद्धार्थ के जागरूकता के यात्रा
मध्यम मार्ग के खोज
सिद्धार्थ पहिला राजगीर के ओर बढ़ल, जेकरा के मगध के प्रसिद्ध राजधानी मानल जाला। ई जगह आध्यात्मिक ज्ञान के केंद्र रहल। उहां ओहने के दू गुरु, अलार कलाम आ उड्डक रामपुत्र, से भेंट कइलन, जे ध्यान के उच्च स्तर पर पहुंचावे के सिखवले।
लेकिन, सिद्धार्थ जल्दी ही एह नतीजा पर पहुंचलन कि ई शांति के अवस्था केवल अस्थायी ह। उ चुपचाप उ गुरु लोग के छोड़ के नायरंजन नदी के तट पर गयल, जे उरुवेला जंगल में रहल। ई जगह साधना खातिर उत्तम रहल आ जल्दी ही उनकरा संग पाँच अउर साधक जुड़ गइले।
साधना के कठोरता
सिद्धार्थ आ उनकर साथी, कड़ी तपस्या में लग गइले। उ आपन शरीर के सहनशीलता बढ़ावे के कोशिश कइलन, ताकि मन के स्वतंत्रता मिल सके। लेकिन छे साल तक बिना भोजन, पानी आ आराम के साधना के बाद, जब उ बहुत कमजोर हो गइले, तब उ आत्म-पीड़ा के छोड़ दिहलन। उनकर साथी लोग सोचलन कि उ अपने उद्देश्य से हट गइले आ अब उ भोग-विलास के जीवन जीयेंगे।
लेकिन सिद्धार्थ के संकल्प मजबूत रहल। उ बस इतना खइले कि उनकर स्वास्थ्य ठीक हो जाई, ताकि एक बार फिर से ज्ञान के खोज में जुट सकें। एक रात, एक विशाल पीपल के पेड़ के नीचे बइठ के, उ ध्यान में लीन हो गइलन, निश्चय कइलन कि तब तक ना उठी जब तक उ अपने खोज के पूरा ना कर लीं।
जागरण के रात
सिद्धार्थ के जागरण के रात के नाम से जानल जाला। ई रात उ ध्यान के एक नया स्तर पर पहुंचलन। उ तीन गहन चरण में आत्मज्ञान के अनुभव कइलन, जेकरा के परंपरागत स्रोत में “रात के watches” कहल जाला।
पहिला watch में (6 बजे संझा से 10 बजे रात), उ अपने पिछले जीवन के याद कइलन। ई याद से उ सन्सार के समझ पवलें, जेकरा में जन्म आ मृत्यु के चक्र शामिल रहल। दुसरका watch (10 बजे रात से 2 बजे भोर) में, उ देखलन कि सब प्राणी ई चक्र में फंसल बाड़न। आ तिसरका watch (2 बजे भोर से 6 बजे भोर) में उ चार आर्य सत्य के ज्ञान पवलें।
मध्यम मार्ग आ नोबल आठfold पथ
उ एह सच्चाई के समझलन कि कर्म के चक्र में दुख भरा बा, आ ई दुख स्वार्थी इच्छाओं के कारण बनल बा। अगर इच्छाओं के खत्म कइल जाई, त दुखो खत्म हो जाई। ई प्रक्रिया के लिए मध्यम मार्ग, या नोबल आठfold पथ के रूप में जानल जाला। ई पथ सही समझ, सही सोच, सही बोल, सही क्रिया, सही जीवनयापन, सही प्रयास, सही सजगता आ सही ध्यान पर केन्द्रित बा।
ई एक व्यावहारिक तरीका बा, जे चरम भोग आ तपस्या के बीच में बा। ई हर कोई, कवनो समय आ स्थान पर अपना जीवन में लागू कर सकेला। बस जरूरत बा कि कवनो व्यक्ति रास्ता देखावे।
बुद्ध के आगमन
सिद्धार्थ के जागरण के बाद, उ बुद्ध, या “जागृत व्यक्ति” के रूप में उभरल। अब उ तैयार बाड़न अन्य लोगन के मार्गदर्शन करे खातिर।
FAQs
बुद्ध के जागरण कब भइल?
बुद्ध के जागरण एक रात में भइल, जवन पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान में लीन होके।
मध्यम मार्ग का ह?
मध्यम मार्ग चरम भोग आ तपस्या के बीच के व्यावहारिक तरीका ह, जे दुख के अंत करे में मदद करेला।
चार आर्य सत्य का ह?
चार आर्य सत्या ह: दुख के अस्तित्व, दुख के कारण, दुख के अंत आ दुख के अंत खातिर मध्यम मार्ग।
नोबल आठfold पथ का ह?
नोबल आठfold पथ ह: सही समझ, सही सोच, सही बोल, सही क्रिया, सही जीवनयापन, सही प्रयास, सही सजगता आ सही ध्यान।
सिद्धार्थ के यात्रा के प्रमुख स्थान कौन-कौन रहल?
सिद्धार्थ के यात्रा में प्रमुख स्थान राजगीर, नायरंजन नदी के तट आ उरुवेला जंगल शामिल बाड़न।