साम्भल मं मस्जिद के सर्वे पर विवाद, छह मुसलमान के मौत
हाल ही में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के साम्भल मं शाही जामा मस्जिद के सर्वे के आदेश पर बवाल भइल, जवना मं छह मुसलमान के जान गइल। ई मामला भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पहुंच गइल बा, जेकरा बाद ऊ आदेश के स्थगित कर देवे के कहा। सर्वोच्च न्यायालय के कहना बा कि trial court के आदेश के खिलाफ मामला अब उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय मं ले जाइल जाई।
कोर्ट के आदेश पर सवाल
साम्भल के trial court 19 नवम्बर के कुछ हिन्दू समूहन के याचिका पर ई आदेश दिहलस कि मस्जिद के सर्वे होखे। याचिका में कहल गइल रहे कि ई मस्जिद 1526 मं बनल रहे, जबकि ओकरा पहिले इहां एक हिन्दू मंदिर रहे, जेकरा के मुस्लिम मुग़ल सम्राट बाबर केहू तरह से ध्वस्त कइले रहन।
भारत के पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश मदन लोकुर कहले बाड़न कि ई आदेश “स्थानों के पूजा अधिनियम, 1991” के साफ-साफ उल्लंघन बा। ई कानून स्वतंत्रता के दिन, 15 अगस्त 1947 के बाद धार्मिक स्थलों के स्थिति के जइसे हउए, ओहिजा रोक दिहलस। लोकुर आगे कहले बाड़न कि कोर्ट के इ मामला पर संज्ञान लेवे के जरूरत ना रहे।
जल्दी मं दिहल आदेश
साम्भल मं मुसलमान करीब 500 साल से शाही जामा मस्जिद के इस्तेमाल करत बाड़न। हाल के कुछ सालन मं, कुछ दक्षिणपंथी हिन्दू समूह दावा कर रहल बाड़न कि बाबर ई मस्जिद बनवावे खातिर पहले के मंदिर के ध्वस्त कइले। जइसन ही याचिका दायर भइल, स्थानीय अदालत ने तुरंत सर्वे के आदेश दे दिहल।
सर्वे टीम 24 नवम्बर के बिना मस्जिद के प्रबंधन के जानकारी दिहले पहुंचे, जवना पर मुसलमानन के विरोध भइल। पुलिस के प्रदर्शनकारियन के खदेड़े के कोशिश मं बवाल भइल आ पुलिस के गोलीबारी से छह मुसलमान के मौत हो गइल।
मुद्दा के गंभीरता
साम्भल मं भइल ई हिंसा के घटना ना केवल मुसलमानन के जीवन के नुकसान कइले, बलुक ई मुद्दा के राजनीतिक आ सामाजिक स्थिति पर भी गंभीर असर डाले वाला बा। हिन्दू दक्षिणपंथी समूहन के लंबे समय से दावा बा कि देश के अनेक मस्जिद आ इस्लामी स्थल हिन्दू मंदिर के स्थान पर बनावल गइल। इहे सोच के तहत, ऊ लोग लगातार अदालत मं याचिकाएं दायर करत बाड़न।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद कहले बाड़न कि अदालत ई तरह के याचिका के स्वीकार कर रहल बाड़ी, जवना से इस्लामी स्थल विवादित बन जाला। ऊ आगाह कइले बाड़न कि ई स्थिति राजनीतिक आ सामाजिक ताना-बाना पर बुरा असर डाल सकेला।
भविष्य के चिंता
पूर्व दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल-इस्लाम खान कहले बाड़न कि प्राचीन ईमारत जइसन मस्जिद, हिन्दू राष्ट्रीय ताकत खातिर “आसान टारगेट” बन गइल बाड़ी। ऊ लोग कहले बाड़न कि ई सब स्थल के बारे मं कोई ठोस दस्तावेज ना होखला से, ई लोग सर्वे के मांग करे लागल बाड़ी।
खान कहले बाड़न कि हिन्दू राष्ट्रीय समूह के पास 3000 मस्जिद के एक सूची बा, जवना से ई साबित होला कि ई तरह के मामले आगे भी जारी रह सकेला।
FAQs
सवाल 1: साम्भल मं का भइल?
उत्तर: साम्भल मं शाही जामा मस्जिद के सर्वे के आदेश पर बवाल भइल, जवना मं छह मुसलमान के जान गइल।
सवाल 2: सर्वोच्च न्यायालय के का कहना बा?
उत्तर: सर्वोच्च न्यायालय कहले बा कि ई मामला अब उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय मं जाई आ सर्वे के आदेश पर रोक लगावल जाई।
सवाल 3: ई विवाद के कारण का बा?
उत्तर: ई विवाद हिन्दू समूहन के दावे से शुरू भइल कि मस्जिद एक ध्वस्त हिन्दू मंदिर पर बनल बा।
सवाल 4: ई स्थिति के राजनीतिक प्रभाव का हो सकत बा?
उत्तर: ई स्थिति सामाजिक आ राजनीतिक ताना-बाना पर बुरा असर डाल सकेला आ communal violence के बढ़ावा दे सकेला।
ई आर्टिकल समाहित कइले बाड़े कि साम्भल मं भइल ई मामला ना केवल स्थानीय स्तर पर बलुक राष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ सवाल खड़ा कर दिहलस। स्थिति के गंभीरता के समझल आ सही कदम उठावल बेहद जरूरी बा।