मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संग खास बातचीत: यूपी के विकास के रास्ता
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेटवर्क18 के समूह संपादक राहुल जोशी के संग एक खास बातचीत में अपने विकास के दृष्टिकोण आ राजनीतिक दर्शन के बारे में बतावल। ऊ बतवले कि उनका विचार संतान धर्म के सिद्धांत पर आधारित बा, जेकरा में समावेशिता आ इमानदारी के बहुत महत्व बा।
महाकुंभ के महत्व
योगी आदित्यनाथ के मुताबिक, महाकुंभ 2025 भारत के आध्यात्मिक विरासत के एक बड़का प्रतीक ह। ऊ आशा व्यक्त कइलन कि 40-45 करोड़ श्रद्धालु 45 दिन के ई आयोजन में भाग लीहें। ई महाकुंभ ना केवल धार्मिक समारोह ह, बल्कि एक राष्ट्रीय एकता आ सांस्कृतिक गर्व के प्रतीक भी ह।
आर्थिक विकास आ कल्याणकारी योजनाएं
योगी जी बतवले कि महाकुंभ के आयोजन में 7500 करोड़ रुपये के खर्च भइल, जेकरा से प्रयागराज के बुनियादी ढांचा में सुधार आ विकास भइल। ऊ कहले कि एह महाकुंभ से यूपी के अर्थव्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये के वृद्धि हो सकेला।
युवाओं के जोड़ल
योगी आदित्यनाथ कहले कि महाकुंभ के आयोजन के दौरान युवा आ वैश्विक पर्यटकन के जोड़ल एगो महत्वपूर्ण मुद्दा रहल। ऊ बतवले कि पिछले सरकारन के समय महाकुंभ के आयोजन में सफाई आ सुरक्षा के कमी रहल, जबकि अब ई आयोजन सफाई आ सुरक्षा के साथ भइल बा।
संविधान आ जाति गणना
जाति गणना पर बात करत, योगी जी कहले कि पिछड़ा आ वंचित वर्ग के अधिकार मिलल जरूरी बा। लेकिन ऊ जाति के नाम पर समाज के विभाजित कइल के खिलाफ बाड़न। ऊ कहले कि यूपी में कानून व्यवस्था के स्थिति सुधारल गइल बा आ अब राज्य में रामराज्य के स्थिति ह।
महिला आ युवा सुरक्षा
योगी जी कहले कि सरकार हर वर्ग के सुरक्षा आ विकास पर ध्यान दे रहल बिया। ऊ बतवले कि यूपी में महिला आ युवा के सुरक्षा के बहुत महत्व बा आ सरकार एह पर काम कर रहल बिया।
राजनीतिक भविष्य
योगी आदित्यनाथ ने 2027 के चुनावन पर बात कइले आ कहले कि यूपी में उनका सरकार के मुख्य मुद्दा विकास आ कल्याणकारी योजनाएं होई। ऊ विश्वास जतवले कि बीजेपी फिर से बहुमत में आई।
FAQs
महाकुंभ के आयोजन में केतना लोग शामिल होखले?
महाकुंभ में 40-45 करोड़ श्रद्धालु के शामिल होखला के उम्मीद बा।
महाकुंभ के आयोजन पर कतेक खर्च भइल?
महाकुंभ के आयोजन में 7500 करोड़ रुपये के खर्च भइल।
राजनीतिक भविष्य के का योजना बा?
2027 के चुनाव में विकास आ कल्याणकारी योजनन पर जोर दिहल जाई।
योगी जी का तरह से जाति गणना पर विचार रखत बाड़न?
ऊ जाति के नाम पर विभाजन के खिलाफ बाड़न लेकिन पिछड़ा आ वंचित वर्ग के अधिकार के समर्थन करत बाड़न।