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संविधानिक संस्थानन के सुरक्षा के मांग

संविधानिक संस्थानन के सुरक्षा पर जोर

भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, कहले बाड़न कि देश के संविधानिक संस्थानन के बाहरी हस्तक्षेप से बचावल जरूरी बा। ऊ इ बात रविवार के बेंगलुरु में आयोजित न्यायमूर्ति ई एस वेंकटारामैया शताब्दी स्मारक व्याख्यान में बतवले। न्यायमूर्ति वेंकटारामैया भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश रहलन।

न्यायमूर्ति नरसिम्हा कहले कि संस्थानन के अखंडता के सुनिश्चित करे खातिर नियुक्ति, निर्णय आ हटावे के प्रक्रिया में सुरक्षा उपाय लागू करे के जरूरत बा। ऊ ‘चौथा शाखा संस्थान’ जइसे चुनाव आयोग आ सूचना आयोग के भूमिका पर खास जोर डाललन, जे लोकतंत्र के बनाए रखे में मददगार बाड़न।

संविधानिक संस्थानन के महत्त्व

न्यायमूर्ति नरसिम्हा कहले कि भारत के संविधान के रचयिता के दूरदर्शिता के सराहना कइल जाव, जे चुनाव के कार्यवाही के कार्यकारी शाखा से अलग रखके एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित कइलन। ऊ कहले, “आज हम मान लेले बानी कि संसद आ राज्य विधानसभन के चुनाव खातिर एगो अलग संस्था बा, लेकिन ई बात के पहिले ई संभव नइखे रहल।”

ऊ ई बात पर जोर दिहलन कि चुनाव आयोग जइसन गैर-संविधानिक चौथा शाखा संस्थानन के राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखल जाव। ऊ कहले, “हमार संविधान खाली एगो कानूनी दस्तावेज ना ह, बल्कि ई सामाजिक परिवर्तन के साधन भी ह।”

नागरिकन के अधिकार आ जवाबदेही

न्यायमूर्ति नरसिम्हा बतवले कि नागरिकन के परंपरागत शाखा पर सवाल पूछे के अधिकार बा। ऊ सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना आयोग के महत्व पर चर्चा कइलन, जे नागरिकन के सरकारी कार्यवाही में पारदर्शिता आ जवाबदेही सुनिश्चित करेला।

ऊ कहले, “हमनी के संविधानिक लोकतंत्र के रूप में कई चुनौती सभ के सामना करे के पड़ी, जइसे आधारभूत संरचना आ कार्यान्वयन में कमी।” ऊ ई बात पर जोर दिहलन कि हमनी के अपना संस्थानन के सुधार करे के जरूरत बा, जे अब डिजिटल युग में पुरान तरीका के अनुसार चल रहल बाड़न।

संस्थानन के पुनः जागरूकता

न्यायमूर्ति नरसिम्हा कहले कि नागरिकन के ई संस्थानन के महत्व के समझे आ एकर क्षमता के पहिचानल जरूरी बा। ऊ कहले, “हमनी के इ संस्थानन के पुनः जागरूकता आ सुधार के जरूरत बा, ताकि ई राजनीतिक दबाव से मुक्त रह सकें।”

FAQs

1. न्यायमूर्ति नरसिम्हा के का कहना बा?

ऊ कहले बाड़न कि संविधानिक संस्थानन के बाहरी हस्तक्षेप से बचावल जरूरी बा आ सुरक्षा उपाय लागू करे के जरूरत बा।

2. चौथा शाखा संस्थान कवन-कवन बा?

चौथा शाखा संस्थान में चुनाव आयोग, सूचना आयोग आ अन्य कई निकाय शामिल बा।

3. संविधान के महत्त्व का ह?

संविधान खाली कानूनी दस्तावेज ना ह, बलुक ई सामाजिक परिवर्तन के साधन ह।

4. नागरिकन के अधिकार का ह?

नागरिकन के परंपरागत शाखा पर सवाल पूछे के आ सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग सके के अधिकार बा।

5. संस्थानन के सुधार कइसे हो सकेला?

संस्थानन के पुनः जागरूकता आ डिजिटल युग के अनुसार सुधार के जरिए हो सकेला।

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