हरविक देसाई के नर्वस 90s आ रणजी ट्रॉफी के संघर्ष
हरविक देसाई, जो सौराष्ट्र के ओपनिंग बैटर हईं, पिछला रणजी ट्रॉफी में चंडीगढ़ के खिलाफ पहले पारी में 99 रन पर आउट हो गइले। ओह बेरा उनकर स्कोर 531 रन रहल।
दूसरा बार ओह लोगन के सामने नर्वस 90s के चक्कर में पड़ी गइले। कठिन हालात में उनकर आउट हो जाना बड़ दुखदाई रहल।
दिन के आखिरी ओवर में जब उनकर कैच ऋषभ पंत के पार्ट टाइम स्पिनर अर्पित राणा के हाथ में गइला, तब तक ऊ दिल्ली के स्पिनरों के खिलाफ बड़िया खेल रहल रहलें। पिच पर टर्न के मदद से उनकर खेल और चुनौतीपूर्ण हो गइल रहल।
हरविक देसाई के बयान
“पिच पर खेलना मुश्किल रहल। ई बहुत टर्न कर रहल रहल, जेकरा के हमनी के जीत खातिर जरूरी समझल जा रहल।” हरविक देसाई कहले।
“90s में आउट हो जाना बड़ निराशाजनक बात ह। लेकिन ई सब खेल के हिस्सा ह। हम टीम के अच्छा स्थिति में डाल दिहले।”
साझेदारी के महत्व
हरविक देसाई आ रविंद्र जडेजा के बीच चौथे विकेट के लिए 76 रन के साझेदारी बड़ महत्वपूर्ण साबित हो सकीला। ई साझेदारी अगर आगे विकेट गिरल त जीत आ हार के बीच के फर्क बना सकेला। 25 साल के हरविक जडेजा के सहयोग के कदर कइलें।
“जडेजा कहले कि मापल जोखिम ले। ऊ कहले कि स्वीप आ रिवर्स स्वीप खेलल ज्यादा सुरक्षित होई, काहे कि गेंद टर्न कर रहल बा। ई बात से हमके रन बनावे में मदद मिलल।” उनकर कहना रहल।
लकी ब्रेक आ मानसिकता
हरविक देसाई के राह में एक टुकड़ा किस्मत भी आइल। जब ऊ 26 पर रहलें, ओह बेरा उनकर स्टंप एक नो-बॉल पर गिरे गइले। ई गलती के फायदा उठाके हरविक देसाई नेगेटिव खेल के बजाय सकारात्मक खेल के सोचल।
“हमार मानसिकता ओह समय भी समान रहल। हम सकारात्मक खेल के चाहत रहनी, काहे कि ए तरह के पिच पर डिफेंड करके आउट हो जाना बेकार बा। ज्यादा से ज्यादा रन बनावल जरूरी रहल।” हरविक देसाई के अंतिम बयान रहेल।
FAQs
हरविक देसाई के नर्वस 90s का मतलब का ह?
नर्वस 90s के मतलब ह कि जब बल्लेबाज 90 रन पर पहुँच जाला आ फिर एक-दो रन पर आउट हो जाला। ई अक्सर दबाव के कारण होखेला।
जडेजा के सलाह कइसन रहल?
जडेजा कहले कि स्वीप आ रिवर्स स्वीप खेलल सुरक्षित होई, जेसे रन बनावे में मदद मिली।
हरविक के मानसिकता कइसे बदलल?
ऊ सकारात्मक सोच के अपनवले आ ज्यादा से ज्यादा रन बनावे के कोशिश कइले।
पिच के हालात कइसन रहल?
पिच पर टर्न बहुत हो रहल रहल, जेकरा के खेलना कठिन रहल।