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कर्मचारी के अधिकार: काम के हफ्ता आ सहीं डिस्कनेक्ट के जरूरत

भोजपुरिया माटी में काम के संस्कृति बहुत गहराई से जुड़ल बा। लेकिन अब एमे बदलाव के जरूरत महसूस हो रहल बा। Larsen & Toubro के चेयरमैन आ मैनेजिंग डायरेक्टर एस एन सुब्रह्मण्यन, जेकरा के SNS कहल जाला, हाल ही में एक वीडियो में कहलन कि 90 घंटा के काम के हफ्ता से कंपनी के प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिली। ई बयान सुनके लोगन के बीच मंझिला आ हलचल शुरू हो गइल।

काम के घंटा आ कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य

जवन बात लोगन के ध्यान खींचल, ऊ ई बा कि एतना घंटा काम करे से ना त मानसिक स्वास्थ्य सही रही, ना ही जीवन में संतुलन। जब आदमी के ऊपर काम के बोझ बढ़ जाला, त ऊ ना त अपने परिवार के संग समय बिता पाता, ना ही अपने शौक के पूरा कर पाता। एसे समाज में तनाव आ चिंता के समस्या बढ़ रहल बा।

डिस्कनेक्ट के अधिकार

कर्मचारी के सही से काम करे आ जीवन में संतुलन बनावे के अधिकार होखे के चाही। काम के घंटा बढ़ावे के बजाय, कंपनी के चाही कि ऊ कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे। डिस्कनेक्ट के अधिकार से कर्मचारी अपने व्यक्तिगत जीवन के मजा ले सकीला। जब काम के समय खत्म हो जाला, त काम के ईमेल आ कॉल से दूर रहना भी जरूरी बा।

भोजपुरी संस्कृति आ काम के तरीका

भोजपुरी समाज में परिवार आ संबंध के बहुत महत्व बा। लोगन के घर-परिवार के साथ समय बितावे के जरूरत बा। यदि हम काम के घंटा बढ़ाएब त ई सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ हो जाई। एकरा चलते, लोगन के बीच असंतोष आ तनाव बढ़ी।

कंपनी आ कर्मचारी के बीच संतुलन

कंपनी के चाही कि ऊ अपने कर्मचारी के स्वास्थ्य आ भलाई पर ध्यान दे। अगर कंपनी अपने कर्मचारी के खुश रखी, त ऊ बेहतर काम करी। सेही से, कंपनी आ कर्मचारी के बीच एक संतुलन बनल रह जाई।

FAQs

1. 90 घंटा काम के हफ्ता सही बा का?

ना, ई सही ना बा। ई मानसिक स्वास्थ्य के नुकसान कर सकेला।

2. डिस्कनेक्ट के अधिकार का होला?

ई मतलब बा कि काम के समय खत्म होखला के बाद कर्मचारी के काम से दूर रह सके के अधिकार।

3. कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य के कइसे देखल जाई?

कंपनी के चाही कि ऊ सही वर्क लाइफ बैलेंस पर ध्यान दे आ कर्मचारी के खुश रखे।

4. घर-परिवार के समय के महत्व का बा?

घर-परिवार के साथ समय बितावे से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होखेला आ तनाव कम होखेला।

5. काम के घंटे बढ़ावे से का असर पड़ी?

काम के घंटे बढ़ावे से कर्मचारी में तनाव आ चिंता बढ़ सकेला, जवन कि उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाली।

ई सब बातन के ध्यान में रखके, हमनी के चाही कि काम के घंटा आ कर्मचारी के भलाई के बीच संतुलन बनावे। भोजपुरिया संस्कृति के सम्मान कर के, हम अपने समाज के सही दिशा में बढ़ा सकीला।

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