भोजपुरिया समाज में सामाजिक समरसता के नाम पर RSS के विचार
RSS के नेता मोहन भागवत हाल के बयान में हिंदू मंदिर विवाद के मुद्दा पर बात कइले बाड़न, जहाँ उहे सामाजिक समरसता के नाम पर हिंदू लोगन से कहत बाड़न कि ई सब विवाद के छोड़ दिहल जाव। लेकिन ई बात के पीछा में RSS के असली मंशा छिपल बाड़ी। उ लोग हमेशा से हिंदू सभ्यता के खिलाफ खड़ा होखे वाला विचारधारा के समर्थन कइले बाड़न।
हिंदू लोग के मानसिक कंगाली
दुनिया के सबसे बड़ा आदिवासी समूह, जवन आज भी अपनी पहचान के खातिर लड़ाई लड़त बाड़न, उ लोग के मानसिक रूप से तोड़ल गइल बा। अगर ई लोग के सही दिशा में जागरूक कइल जाव, त शिवाजी आ दुर्गावती जइसन वीर पैदा हो सकेला। RSS के विचारधारा के चलते, बहुत से लोगन के ई सोच के भ्रमित कर दिहल गइल बा कि उ लोग के सुरक्षा RSS करत बाड़ी, जबकि हकीकत में उ लोगन के मानसिक, बौद्धिक आ शारीरिक रूप से कमजोर कइल जा रहल बा।
RSS आ हिंदू मुद्दन पर राजनीति
RSS हमेशा से हिंदू मुद्दन के राजनीतिक फायदा खातिर इस्तेमाल कइले बाड़ी। जब हमनी के 2001 में लंदन में बांग्लादेश के उच्चायोग के सामने हिंदू विरोधी गतिविधियन के खिलाफ प्रदर्शन कइले रहनी, तब RSS के कुछ नेता हमनी के पटीशन छीने के कोशिश कइले। ई सब घटनाक्रम बतावत बा कि RSS कइसे अपने हित खातिर असली हिंदू आवाज के दबावे के कोशिश करत बाड़ी।
नए हिंदू कार्यकर्ताओं के ललचाना
RSS नया हिंदू कार्यकर्ताओं के अपनी ओर खींचे खातिर कई बार अलग-अलग संगठन के माध्यम से संपर्क करे के कोशिश करत बाड़ी। उ लोग सोचता कि अगर उ लोग के अपने रंग में रंग लेब, त उ लोगन के अपने एजेंडा के प्रचार करे के मौका मिल जाई। एही कारण से कई सच्चे हिंदू कार्यकर्ता RSS से दूर रहके अपना काम करत बाड़न।
मोदी आ बीजेपी के रवैया
जवन लोग सोचता कि मोदी आ बीजेपी हिंदू मुद्दा के ठोस समाधान करी, उ लोग समझीं कि RSS आ बीजेपी के असली मकसद कुछ अउरी बा। RSS के बुरा नाम ना होखे, एह खातिर ऊ लोग कई महत्वपूर्ण हिंदू मुद्दा पर चुप बाड़न। अगर उ लोग चाहत त उ लोग आसानी से हिंदू मंदिर के नियंत्रण वापस कर सकत बाड़न, लेकिन ना उ लोग एसे दूर बाड़न।
समाज के जागरूकता
हिंदू लोग के समझे के जरूरत बा कि उनकर असली ताकत उनहीं में बा। जब उ लोग जागरूक हो जाई, त बीजेपी आ RSS के भी अपना लाइन में आवे के मजबूर हो जाई। जइसे कि सीता राम गोयल कहले रहन, RSS हिंदू के अपने आप में कमजोर क रहल बा। हाल में मोहन भागवत के बयान से स्पष्ट हो रहल बा कि उ लोग मंदिर-मस्जिद विवाद के फिर से उभारे के कोशिश कर रहल बा, जबकि उ लोग समाज के एकजुटता के बात करत बाड़न।
अंत में
RSS आ उसके नेतागण के रणनीति के समझे के जरूरत बा ताकि हिंदू समाज आपन असली ताकत के पहचाने आ अपने हक के खातिर आवाज उठावे। एकजुटता में ही ताकत बाड़ी।
FAQs
1. RSS के मुख्य उद्देश्य का ह?
RSS के मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज के एकजुट कइके ओकरा के मजबूत बनावल ह।
2. मोहन भागवत के हाल के बयान के मतलब का ह?
मोहन भागवत के बयान में समाजिक समरसता के बात हो रहल बा, लेकिन उ लोग मंदिर विवाद के मुद्दा पर चुप्पी साधे के कोशिश करत बाड़न।
3. हिंदू लोगन के एकजुटता काहे जरूरी ह?
हिंदू लोगन के एकजुटता जरूरी बा ताकि उ लोग अपने हक के खातिर आवाज उठा सको आ RSS के असली मंशा के समझ सकें।
4. RSS आ बीजेपी के राजनीति में का अंतर ह?
RSS एक सांस्कृतिक संगठन बा जबकि बीजेपी राजनीतिक पार्टी ह, लेकिन दूनों के मूल उद्देश्य कई बेर एक जइसन बाड़न।
5. का RSS सच में हिंदू के सुरक्षा करत बिया?
RSS के सुरक्षा के दावे के पीछे कई बार राजनीतिक हित छिपल बा, जवन कि असली हिंदू मुद्दा के अनदेखी करत बाड़न।